तेजस मार्क-2 अगले साल तक तैयार होगा, जानिए कितना ताकतवर होगा नया स्वदेशी लड़ाकू विमान
न्यूज डेस्क, एमपी दुनिया, नई दिल्ली।स्वदेशी बहुद्देशीय लड़ाकू विमान तेजस का एक और प्रभावी संस्करण अगले साल सामने आने की संभावना है। इसमें ज्यादा शक्तिशाली इंजन, अधिक आयुध क्षमता, अगली पीढ़ी की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और कई श्रेष्ठ वैमानिकी प्रणालियां होंगी। इस लड़ाकू विमान के तेज रफ्तार संबंधी परीक्षण 2023 में शुरू होंगे।
अगस्त-सितंबर 2022 तक तैयार होगा
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर माधवन ने रविवार को बताया कि तेजस मार्क-2 को लेकर संरचनागत व अन्य काम काफी अच्छे से चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि तेजस मार्क-2 के 2022 के अगस्त-सितंबर तक सामने आने की संभावना है जिसके बाद पहली उड़ान में कुछ वक्त लगेगा। विमान का पहला तेज रफ्तार संबंधी परीक्षण 2023 में शुरू होगा और हमें 2025 के आसपास तक उत्पादन शुरू हो जाने की उम्मीद है।
जरूरत के मुताबिक होगा हथियारों से लैस
जब माधवन से तेजस मार्क-2 के हथियारों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उसका सीधा जवाब नहीं दिया और कहा कि यह बाद में जरूरत और बदलती स्थिति के आधार पर तय किया जाएगा। तेजस एकल इंजन वाला दक्ष बहुद्देश्यीय सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है जिसे एचएएल ने तैयार किया है।
श्रेष्ठ युद्ध प्रणालियों से लैस होगा
उन्नत संस्करण में बड़ा ढांचा, लंबी दूरी तय करने की क्षमता के साथ ही बेहतर रखरखाव होगा। यह ज्यादा आयुध सामग्री ले जाने में सक्षम होने के साथ ही अधिक मजबूत इंजन क्षमता और श्रेष्ठ युद्ध प्रणालियों से लैस होगा।
तेजस मार्क-1 से ज्यादा शक्तिशाली
उड़ान दूरी और आयुध ले जाने की क्षमता बढ़ने के साथ ही नया संस्करण तेजस मार्क-1 से अधिक शक्तिशाली होगा। भारतीय वायु सेना 48000 करोड़ रूपये के सौदे के तहत एचएएल से 73 तेजस मार्क-1 ए विमान खरीद रही है। सरकार ने 13 जनवरी को इस सौदे को मंजूरी दी थी
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों पर हो रहा काम
उन्नत बहुद्देश्यीय लड़ाकू विमान परियोजना की अगली पीढ़ी के बारे में एचएएल अध्यक्ष ने कहा कि एक विशेष प्रयोजन इकाई (एसपीवी) के कार्यढांचे में परियोजना का क्रियान्वयन करना है और उसमें निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी शामिल करने का लक्ष्य है।
माधवन ने बताया कि भारत काफी अंदर तक घुसकर मार करने वाले मध्यम भार के लड़ाकू विमान की पांचवीं पीढ़ी पर काम कर रहा है और इस पर करीब पांच अरब डॉलर का खर्च आने का अनुमान है। माधव ने कहा कि शुरुआती विमान 2026 तक बन जाने की संभावना है और उसका उत्पादन 2030 तक शुरू हो सकता है । उन्होंने कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन इस परियोजना की समय सीमा पर ध्यान रखकर आगे बढ़ रहा है।
निजी क्षेत्र का लिया जाएगा सहयोग
उन्होंने कहा कि हम जिस योजना पर काम कर रहे हैं, वह यह है कि बिना एसपीवी मार्ग को अपनाये एचएएल शुरुआती विमान बनाएगा। हम एक बार जब यह कर लेंगे तब हम निजी कंपनियों से साथ आने को कहेंगे। उन्हें कम से कम 2500 करोड़ रुपये लगाने होंगे। हम प्रारंभिक निवेश के तौर पर 2500 करोड़ रुपये लगाएंगे।
एमपीदुनिया डेस्क
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