नई दिल्ली। मोदी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए इस साल कई नए विधेयक पारित कराए और कुछ नई उपलब्धियां भी हासिल की, लेकिन साल के अंत तक भी नई शिक्षा नीति का प्रारूप देश के सामने नहीं आ सका।
शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से स्कूलों के लिए 'लर्निंग आउटकम' शुरू किया गया और दसवीं की बोर्ड परीक्षा फिर से शुरू की गई। बीस भारतीय प्रबंधन संस्थानों और 15 भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थाओं को राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान घोषित कर उन्हें अधिक स्वायतता प्रदान की। इसके साथ ही कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के लिए नया वेतनमान भी लागू किया गया, लेकिन शिक्षक समुदाय इससे संतुष्ट नहीं दिखाई दिया। शिक्षकों ने सातवें वेतन आयोग में भेदभाव किए जाने के विरोध में इस साल देश भर में धरना-प्रदर्शन किए और जेल भरो आन्दोलन भी चलाया।
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में इस वर्ष भी छात्रों और प्रशासन के बीच टकराव की घटनाएँ हुईं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नए अध्यक्ष डी.पी. सिंह की नियुक्ति की गई जबकि कुछ कुलपतियों के खिलाफ कार्रवाई हुई।
मोदी सरकार ने मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून में संशोधन कर 'लर्निंग आउटकम' की व्यवस्था की और गैर-प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए 2019 तक प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया। ऑनलाइन माध्यम से दिए जाने इस प्रशिक्षण के लिए तेरह लाख 58 हज़ार शिक्षक आवेदन कर चुके हैं।