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भारत में बिना लक्षण वाले मरीजों से हारा कोरोना का नया स्ट्रेन, 74 वैज्ञानिकों के रिसर्च में खुलासा

भारत में बिना लक्षण वाले मरीजों से हारा कोरोना का नया स्ट्रेन, 74 वैज्ञानिकों के रिसर्च में खुलासा
(News18 Uttar Pradesh से साभार) वाराणसी। एक ओर जहां कोरोना (Corona) के नए स्ट्रेन ने ब्रिटेन, ब्राजील, इटली और फ्रांस में हाहाकार मचा दी है. अमेरिका (America) में कोरोना (Corona) की तीसरी लगहर से परेशान है. वहीं दूसरी ओर भारत (India) में कोरोना का प्रकोप धीरे धीरे समाप्त होता जा रहा है. कोरोना वायरस के प्रकोप कोविड-19 के दूसरे चरण से भारत के लोग क्यो प्रभावित नहीं हुए, इसको लेकर एक अध्ययन सामने आया है. उत्तर प्रदेश के वाराणसी के बीएचयू के वैज्ञानिक के नेतृत्व ये अध्ययन किया गया है, जिसमें कारणाें का पता चलने का दावा किया गया है. बीएचयू के जीन विज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे के नेतृत्व में देशभर के 74 शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि भारत में दूसरे लहर की चेन टूट चुकी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रोजाना भीड़भाड़ में रहने वाले ऐसे लोग, जिन्हें संक्रमण का खतरा सबसे अधिक है, उनके सैंपल पर यह शोध किया गया है. दावा किया जा रहा है कि छह राज्यों के 14 जिलों में चार माह तक चले इस शोध में 2,306 लोगों को शामिल किया गया. 30 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी डेवलप मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तथ्यों के समाकलन के बाद पता चला कि 76 फीसद भारतीयों में कोरोना के लक्षण ही नहीं (एसिंप्टोमैटिक) हैं. 30 फीसद में एंटीबाडी बन चुकी है. जबकि पूर्वांचल में 41 फीसद लोग कोविड के प्रति इम्युन (प्रतिरक्षित) हो चुके हैं. शोध में यह बात भी सामने आई कि प्रतिदिन लोगों के बीच उठने-बैठने वालों में भी कोरोना के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है. यही कारण है कि नया स्ट्रेन भारत तो आया, मगर इम्युन हो चुके लोगों पर बेअसर रहा. जो कोरोना के सबसे बड़े वाहक थे, उनमें प्रतिरोधकता विकसित हो जाने के कारण ही दूसरे लहर की शृंखला टूटी. यह शोध अमेरिका के मशहूर जर्नल मेड आर्काइव के प्री -प्रिंट में प्रकाशित हो चुका है. प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे बताते हैं कि भारत में कोरोना संक्रमित 100 में से 76 लोग बिना लक्षणों वाले हैं, जबकि यूरोप और अमेरिका में इनकी संख्या 10 फीसद ही है. यही कारण है कि उन देशों में कोरोना के प्रति इम्युनिटी भारतीयों जितनी विकसित नहीं हुई.

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